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संपूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए भारत स्वतंत्र हुआ है – डॉ. मोहनराव भागवत

संपूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए भारत स्वतंत्र हुआ है – डॉ. मोहनराव भागवत

बंगलुरु (15 अगस्त, 2023)-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत  ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर Vasavi Convention Hall, बंगलुरु में राष्ट्र ध्वज फहराया. उनके साथ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले , वैज्ञानिक एवं योग गुरु डॉ. एसएन ओंकार  भी उपस्थित रहे।

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दीं।

उन्होंने कहा कि हम सूर्य भगवान की आराधना करते हैं, हम तेज की उपासना करने वाले हैं, इसलिए भारत है. भा यानि आभा, प्रकाश और जो प्रकाश में रत रहता है वो भारत है. समस्त विश्व को प्रकाश देने वाला सूर्य है, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आदित्य की आराधना औचित्यपूर्ण कार्य है. भारत सम्पूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए स्वतंत्र हुआ. भारत का स्व यही है — एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः, स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः आज विश्व को इसकी आवश्यकता है. उसके लिए हमको तैयार होना है और अपने इस राष्ट्र ध्वज के स्वरूप का चिंतन करना है।

राष्ट्र ध्वज की चर्चा करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि हमें जीवन को त्याग और निरंतर कर्म के साथ तमसो मा ज्योतिर्गमय की दिशा में ले जाने की आवश्यकता है, जिसका प्रतीक तिरंगे में शीर्ष स्थान पर केसरिया, भगवा रंग है. तिरंगे के शीर्ष स्थान पर केसरिया-भगवा रंग हमें त्याग और कर्मशील होने का सन्देश देता है। मन के सारे विकारों, स्वार्थ और भेदों को मिटाकर सबके लिए कार्य करना, शुचितापूर्ण मन का प्रतीक सफेद रंग है, वह अपने ध्वज के मध्य में है. श्रीलक्ष्मी जी का प्रतीक हरा रंग, जिस समृद्धि का निदर्शक है वो सब प्रकार की भौतिक, आध्यात्मिक, समुत्कर्ष और निस्श्रेयश दोनों प्रकार की समृद्धि हमको प्राप्त होगी।

सम्पूर्ण दुनिया को प्रकाश देने के लिए भारत को सामर्थ्य सम्पन्न होना है,भारत सामर्थ्य सम्पन्न न हो, इसलिए हमको तोड़ने वाली शक्तियां भी कार्यरत हैं, वो काम भी कर रही हैं. तो हम सावधान रहें, हम अपने इस स्वत्व के आधार पर, हमारा राष्ट्र ध्वज किन बातों का दिग्दर्शन करता है, इसको  समझकर कार्यरत रहें और सम्पूर्ण देश को एक बनाएँ।

ज्ञान, कर्म, भक्ति, निर्मलता और समृद्धि के आधार पर सारे विश्व को जीवन जीने की सीख दें, ये हमारी स्वतंत्रता का प्रयोजन है,अपने स्व के आधार पर तंत्र बनाते हुए हमें आगे बढ़ना पड़ेगा, अपने देश को संपूर्ण जगत का उपकार करने वाला देश हम बनाएंगे, हम गुरु पद मांगेंगे नहीं, दुनिया कहेगी भारत हमारा गुरु है।


स्रोत- विश्व संवाद केंद्र, भारत

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