राष्ट्रीय विमर्श को स्थापित करने में पांचजन्य की अहम भूमिका : हितेश शंकर
आज मेरठ के शिवाजी मार्ग स्थित शंकर आश्रम के सभागार में साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य का पाठक सम्मेलन हुआ जिसमें पाञ्चजन्य के सम्पादक हितेश शंकर ने पाठको के प्रश्नों के उत्तर देते हुए जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।
उन्होने पांचजन्य की आवश्यकता बताते हुए कहा कि मीडिया में बहुत सारे नेरेटिव ऐसे आ गए जो इस राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान के लिए बहुत ही घातक थे। समाज को तोडने के लिए कैसे जातियों का विमर्श खड़ा किया जा सकता है, कनवर्जन को बढ़ावा देने के लिए कैसे किया जा सकता है, परिवार परम्परा को समाप्त करने के लिए कैसे नैरेटिव बनाया जा सकता है,ऐसा विमर्श चल पड़ा। इन सब विमर्शों से भारतीयता को बचाने के लिए पांचजन्य के प्रकाशन की आवश्यकता पड़ी। अपने 75 वर्षो के संघर्ष में पांचजन्य ने भारत के पहचान की रक्षा करते हुए राष्ट्रीय विमर्श को स्थापित किया है।
प्रज्ञा प्रवाह के प्रान्त संयोजक एवं राष्ट्रदेव पत्रिका के संपादक अजय मित्तल ने पाञ्चजन्य की जन्म से अब तक की यात्रा और देश की विभिन्न परिस्थितियों में पाञ्चजन्य की भूमिका का वर्णन किया।
कार्यक्रम का शुभांरभ विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्यामबिहारी लाल जी द्वारा भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया और कार्यक्रम कासंचालन सुनील कुमार ने किया।
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